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देश की आजादी के 78 साल के इतिहास में चौथी बार कोई बीजेपी का मुख्यमंत्री दिल्ली की सत्ता में बैठा है

Thursday, February 20, 2025 | February 20, 2025 WIB Last Updated 2025-02-21T05:51:05Z

 देश की आजादी के 78 साल के इतिहास में चौथी बार कोई बीजेपी का मुख्यमंत्री दिल्ली की सत्ता में बैठा है. इसके पहले 1993 में मदनलाल खुराना,1996 में साहिब सिंह वर्मा और 1998 सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थी , लेकिन अब करीब तीन दशक बाद, एक बार फिर से दिल्ली को बीजेपी का सीएम मिला है. बीजेपी 48 सीते जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बना चुकी है .....और मुख्यमंत्री बनी है रेखा जिंदल गुप्ता..


RSS की कट्टर समर्थक रही रेखा गुप्ता..’वर्ष 1992 में एबीवीपी से अपनी राजनीति की शुरुवात की,1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1997 में इसकी अध्यक्ष भी रहीं.है  2002 में वह भाजपा में शामिल हुईं और 2004 से 2006 तक वो भारतीय जनता पार्टी की युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव रहीं.रेखा जिंदल गुप्ता 32 सालो तक आरएसएस से जुड़ी रहीं उनकी राजानीति आरएसएस  और बीजेपी के सिधान्तो से शुरू हुई और आज उसी आरएसएस की वजह से वो दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बना गयी. रेखा गुप्ता भाजपा की इकलौती महिला मुख्यमंत्री हैं, जो दिल्ली की नौवीं CM के तौर पर सपथ लेंगी . उनके अलावा अभी देश की दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. सिर्फ पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी हैं. 


 


बीजेपी की दिल्ली में आखिरी सीएम 26 साल पहले सुषमा स्वराज थीं.और अब २६ साल बाद बीजेपी ने दिल्ली की कमान पहली बार विधायक बनीं रेखा जिंदल गुप्ता को सौपी दी है. लेकिन सिर्फ आरएसएस से अच्छे सबन्ध ,या महिला होना ही दिल्ली की कुर्सी तक पहुचने की वजह नही है, रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्य्म्नात्री बनाने के पीछे तीन बड़ी वजहे है ..


पहली वजह है :- रेखा गुप्ता भी अरविंद केजरीवाल की तरह वैश्य समाज से आती हैं। अभी तक कोई भी बीजेपी का सीएम वैश्य समाज से नहीं था, जबकि दिल्ली की जनसंख्या में वैश्य समुदाय की आबादी 8% के आसपास है।  ऐसे में रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने वैश्य मतदाताओं पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है।


दुसरी और सबसे बड़ी वजह है, परिवारवाद -दिल्ली में बीजेपी की जीत के बाद से ही मुख्य्म्नात्री  की रेस में सबसे आगे नाम प्रवेश वर्मा का था. प्रवेश वर्मा पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। साहिब सिंह वर्मा 1996 में दिल्ली के सीएम रह चुके है अगर बीजेपी प्रवेश वर्मा को दिल्ली का  मुख्यमंत्री बनाती तो उस पर परिवारवाद के आरोप लग सकते थे  और इससे बचने के लिए बेजीपी ने प्रवेश वर्मा की जगह रेखा गुप्ता को मुख्य मंत्री बना दिया !  

 

 वर्ष 1952 में दिल्ली की पहली विधानसभा के गठन के बाद से देश की राजधानी में केवल आठ मुख्यमंत्री रहे हैं। और ऐसा इसलिए है क्योंकि 1956 से 1993 तक यांनी 37 वर्षों तक, दिल्ली की विधानसभा को ही समाप्त कर दिया गया था और इसे केंद्र शासित प्रदेश टाइप सी बना दिया गया था। हालांकि, जब 1993 में फिर से दिल्ली में विधानसभाके चुनाव हुए तो बीजेपी 49 सीटें जीत कर सत्ता में आई और मुख्यमंत्री  मदनलाल खुराना बने. लेकिन खुराना सिर्फ तीन साल ही मुख्यमंत्री रहे . उनका नाम हवाला केस में आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद इस्तीफा देना पडा था . उनकी जगह दिल्ली का मुख्यमंत्री साहीब सिंह वर्मा को  बनाया गया लेकिन साहीब सिंह भी 2 years, 228 दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे  इसके बाद  2 October 1998को दिल्ली की मुख्य्मानात्री शुषमा स्वराज को बनाया गया ..... जो सिर्फ 52 days तक मुख्यमंत्री रही , इसके बाद 27 सालो तक बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी ... लेकिन अब 27 साल बाद फिर से बीजेपी की एक महिला दिल्ली की सीएम होंगी ..

 

रेखागुप्ता को दिल्ली की  मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ना सिर्फ दिल्ली की महिलाओं के दिल तक जाने का रास्ता बना रही है, बल्कि देश की महिलाओं को भी एक संदेश देने  की कोशिश कर रही है,की जो सम्मान महिलाओं को बीजेपी दे सकती है वो कोई और पार्टी नहीं दे सकती ....बीजेपी ये जानती है की  दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिले  45.56% वोटो  में एक बड़ी  संख्या महिलाओं की भी है , जो उसके जीत की एक अहम् चाभी है .....


दिल्ली पर शासन कौन करेगा? यह सवाल दिल्ली की राजनीति में आज का नही है .दिल्ली पर शासन की लडाई  1911 से शुरू हो गयी थी जब ब्रिटशों ने दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया था !  और तब से ये बदस्तूर जा रही है .  आप क्या सोचते है रेखा जिंदल गुप्ता के बारे हमें लिखकर बता सकते है 




 शपथ से पहले रेखा गुप्ता ने गुरुवार सुबह मीडिया से बातचीत में कहा, 'यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मुझ पर भरोसा जताने के लिए मैं PM मोदी और पार्टी हाईकमान का शुक्रिया अदा करती हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं दिल्ली की CM बनूंगी। मैं शीशमहल में नहीं रहूंगी।'


   

 


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