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एक इनकाम टैक्स डिप्टी कमिश्नर कैसे दल्ली का तीन बार मुख्यमंत्री बना?

Jan 20, 2025 | 1/20/2025 11:58:00 AM WIB Last Updated 2025-01-20T19:58:19Z

 साल २०१३ में केजरीवाल ने कहा था ...न तो मैं कांग्रेस के साथ गठबंधन करूगा और ना ही बीजेपी का समर्थन लूँगा  ....लेकिन उसके कुछ महीने बाद ही केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये.... ये शयद हिन्दुस्तान के इतिहास में पहली बार था .. जब कोई नेता उसी पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बना .जिस पार्टी  के विरोध से राजनीती में  उसका और उसकी पार्टी का जन्म हुआ ..   कुछ ऐसा ही हाल करप्शन के मामले में हुआ .. 


कहानी यही खतम नहीं हुई ........ मनी  लांड्रिंग ...लीकर स्कैम .  और मारपीट जैसे कुल १४ मामले भी दर्ज है ....  हाल ही में तो गृह मंत्रालय ने,, मनी  लांड्रिंग ...लीकर स्कैम जैसे मामलो  में केजरीवाल और  मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चालने की इजाजत भी दी है !!!!!!!  लेकिन एक इनकाम टैक्स डिप्टी कमिश्नर कैसे  दल्ली का तीन बार मुख्यमंत्री बना......कैसे 500 करोड़ के घोटले में जेल गया और क्यों उसे दिल्ली के मुख्यमंत्री पद इस्तीफा देना पड़ा ? चलिए इस वीडिओ में समझते है .....



28 दिसंबर 2013 की सर्द सुबह, दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में नीली शर्ट और सफेद मफलर में लिपटे अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ले रहे थे। दिलचस्प बात यह थी कि अरविंद उस कांग्रेस पार्टी के समर्थन से सपथ ले रहे थे.. जिसके विरोध से राजनीती में  उनका और उनकी पार्टी का जन्म हुआ ... हरियाणा में जन्मे और  आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले केजरीवाल   ऐसे दिल्ली की राजनीति को उल्ट कर रख देंगे किसी ने नहीं सोच था .... 


केजरीवाल तीन बार 2013,2015, 2020 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने लेकिन जिन मुद्दों की राजनीति के साथ वो सत्ता में आये वो कही दूर अब पीछे छूट चुके है... अब मुद्दे और राजनीति दोनों बदल चुकी है ..  केजरीवाल पर 500 करोड़ के लीकर स्कैम का केस चल रहा है ..उन पर14 से ज्यादा मुकदमे दर्ज है.. और वो 177 दिन तिहाड़ जेल में भी बिता चुके है .......... केजरीवाल कहते थे की अगर किसी पर करप्शन का आरोप भी लग जाए तो उसे अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए .. लेकिन 177 दिन जेल में रहने के बाद भी उन्होंने तब तक  सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया ....  जब तक की वो जेल से बहार नहीं आ गए ....


केजरीवाल ने भले ही ये कहकर सीएम पद से इस्तीफा दिया है   ...की अब वो जनता के फैसले के बाद ही दिल्ली की कुर्सी पर बठेगे !!!! लेकिन इसके पीछे भी उनका बड़ा पोलिटिकल एजेंडा था  ... जिसे वो अपने इस्तीफे के पीछे से सेट करने की कोशिश कर रहे थे  !!  ये ठीक वैसा ही जैसे राहुल गाँधी इलेक्शन के दौरान खटा खटा खट एक लाख रूपये लोगो के खातो में डाल रहे थे !! लेकिन चुनव ख़तम होते ही.. ये स्कीम भी चुनाव के साथ ही बैलेट बॉक्स में बंद हो गयी !!! न तो लोगो को एक लाख रूपये मिले और ना ही कांग्रेस की सरकार बनी ...केजरीवाल ने भी कुछ ऐसा ही दांव चलने की कोसिस की है !! 


केजरीवाल ने सत्ता में आने से पहले कहा था  वो कोई घर नहीं लेंगे , कोई  सुरक्षा नहीं लेंगे , और नाही कोई गाडी . लेकिन सत्ता में आते ही,  गाडी भी ली, घर भी लिया और सुरक्षा भी ली  ....और अभी .केजरीवाल जेड प्लस की सुरक्षामें चलते है ,जिसमे 55 NSG  कमाांडाे उनकी 24 घंटे सुरक्षा करते है  


. उन्होंने सिर्फ घर के रेनोवेशन 45 करोड़ रूपये खर्च कर दिया ... लेकिन फिर भी वो खुद को आम आदमी कहते है ?  केजरीवाल  अन्ना  आन्दोलन में कहते थे. की जो इस सत्ता कुर्सी पर बैठाता है वही गड़बड़ हो जाता है,,  और आज वही केजरीवाल उसी सत्ता के दलदल में फंसे हुए है !!! और शायद गड़बड़ भी ह चुके !!


केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देकर वही दांव चला जैसा वर्ष 1971 में  इंदिरा गाँधी ने समय से पहले चुनाव कारने का फैसल करके किया था....इंदिरा गाँधी ने ऐसा इसलिए किया था  क्योकि 1967 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की  बिहार, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में करारी हार हुई जिसके बाद  इंदिरा गाँधी 'गरीबी हटाओ' के  सशक्त नारे के साथ... समय से पहले चुनाव कराने का फैसला किया . और 1971 में 352 सीटों के साथ दो-तिहाई बहुमत हासिल कर सत्ता हासिल कर ली  । 

कुछ ऐसा ही 14 फरवरी 2014 को केजरीवाल ने भी  दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर किया था। वो सिर्फ 28 सीते जीतकर कांग्रेस के समर्थन से  सिर्फ 49 दिनों के दिल्ली के सीएम बने थे  !  हालकी इसके बाद .. दिल्ली में लगभग एक साल तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा। लेकिन जब 2015 में एक बार फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव  हुए .. तो आम आदमी पार्टी (AAP) ने 70 में से 67 सीटे जीत ली  और फिर से केजरीवाल  दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए .. अब 2015 वाला दांव केजरीवाल  2025 के विधान सभा चुनाव में.चलने की कोशिश की है ! 


खुद को आम आदमी कहने वाले केजरीवाल ..₹1.73 करोड़ की संपत्ति के मालिक है , जबकि उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल के पास ₹2.5 करोड़ की संपत्ति की मालकिन है ...... केजरीवाल के पास ₹3 लाख का कैश और ज्वेलरी है, जबकि उनकी पत्नी के पास ₹1 करोड़ का कैश और ज्वेलरी है.  केजरीवाल के खिलाफ 14 आपराधिक मामले लंबित हैं. ........केजरीवाल ये जानते है की.. उनके ऊपर लगे करप्शन के आरोपों ने उनकी  इमेज को इतना ज्यादा डेंट कर दिया है. की .. 


उन्हें इसका नुकशान हो रहे  विधान सभा चुनाव में  उठना पड सकता है .और इसलिए उन्होंने सीएम पद  से इस्तीफा  देकर दिल्ली की जानत्ता को ये समझने की कोशिश की ... मैंने दिल्ली की जनता के लिए ही अपना इस्तीफा दिया है .....   और मुझे किसी भी पद का कोई  लालच नहीं है ... लेकिन आपको ये समझना होगा की ये वही केजरीवाल है जो लोकपाल बिल ,यमुना की सफाई  और :  24 घंटे स्वच्छ पानी की आपूर्ति: जैसे मुद्दों के साथ सत्ता में आये थे .लेकिन ये वादे आज भी अधूरे है ..जबकि केजरीवाल 10 सालो तक   दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके है ...

 केजरीवाल  सिर्फ अपने मुद्दों से ही नहीं भटके ..बल्कि उन्होंने पार्टी गठन में शामिल रहे .. प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव  कुमार विश्वाश जैसे नेताओं को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया ....केजरीवाल खुद को पार्टी का  'सुप्रीम लीडर' समझने लगे थे ....  कुमार  विश्वाश ने तो केजरीवाल पर खालिस्तानियो से फंड लेकर चुनाव लड़ने तक आरोप लगाया था ... 


करीब सात महीने पहले जिस कांग्रेस के साथ मिलकर  केजरीवाल ने लोकसभा का चुनाव लड़ा .  आज फिर वही कांग्रेस उनकी सबसे बड़ी सियासी दुशमन बन चुकी है .. ये ठीक वैसा ही है जैसे वर्ष  2013  के चुनाव में हुआ था .... केजरीवाल ने कांग्रेस के विरोध में चुनाव लड़ा और उसी के साथ मिलकर सरकार बना ली ...यानी ये भ्रस्तचार के लडाई , यमुना को साफ़ करना .. गरीबो का मसीहा  बनाना सिर्फ एक सियासी स्टंट था .....इससे आप समझ सकते हैं की राजनीतिक पार्टिया अपने फायदे के लिए किस तरह से गठबंधन करती है और किस तरह से अपनी ही कही बातों से मुकर जाती है. इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टिया सच में अपने आप में गठबंधन नहीं कर पाई..मध्य प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस ने सपा को सीटें देने से मना कर दिया था. हरियाणा में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को सीटे देने से मना कर दिया.जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी को अलग चुनाव लड़ने का एलान करना पड़ा..लेकिन हमारे देश की भोली भाली जनता इन नेताओं के जाति धर्म और स्वर्थ की राजनीति में फंस जाती हैं. वैसे आपको क्या लगता है क्या आम आदमी पार्टी  2025 में फिर से सरकार में वापसी कर पाएंगी उनके लिए चुनौती होगी. ............................................




 

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