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असंम के मुख्यमंत्री हेमन्त विश्व शर्म के "शूट एंड साइट" अदेश

Jun 15, 2025 | 6/15/2025 12:37:00 AM WIB Last Updated 2025-06-16T05:20:40Z

 असंम के मुख्यमंत्री हेमन्त विश्व शर्म  के "शूट एंड साइट" अदेश ने  सियासी हलचल बढ़ा दी . असंम  से लेकर दिल्ली तक तक इसकी चर्च हो रही है .....  सवाल इस बात का नही हेमन्त विश्व शर्म  ने  "शूट एंड साइट" अदेश   दिए है सवाल इस बात का है ,सीएम शरमा ने ये अदेश दिया क्यों है .असम बांग्लादेश के साथ 263 किलोमीटर लंबी है अंतरराष्ट्रीय सीमा  साझा करता है ..जो असंम के धुबरी, करीमगंज, और दक्षिण सलमारा-मनकाचर जिलों से होकर गुजरती है। धुबरी जिला इस सीमा का सबसे संवेदनशील हिस्सा माना जाता है,   जहाँ मुस्लिमो की 75% से 80% है, और हिंदू लगभग 18% से 22% फीसदी है और इसी जिले में सीएम शर्मा ने  देखते ही शूट at साईट  के आदेश  दिए है ....वजह है असंम के धुबरी जिले में  हाल ही में भड़की सांप्रदायिक हिंसा.. वैसे तो  यहाँ सांप्रदायिक हिंसा होना कोई नयी बात नहीं है , लेकिन सीएम शर्मा  के  "शूट एंड साइट" अदेश ने   देश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। 




असंम के धुबरी में हिंसा की शुरुवात वैसे ही हुई  जैसे  अक्सर इन इलाको में होती है  7 जून 2025 को बकरीद के दुसरे  दिन, हनुमान मंदिर के पास एक गाय का सिर मिलने की घटना से तनाव भड़क उठा। ये मामला शांत नहीं हुआ था की इसके दुसरे दिन फिर से  मंदिर के सामने गाय का सिर रखा गया..इसके बाद क्षेत्र में प्रदर्शन शुरू हो गए और  ये प्रदर्शन धीरे-धीरे   हिंसक  हो गए  सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट और अफवाहों ने स्थिति को और भयानक बना दिया। लेकिन  क्या  सिर्फ  इसकी वजह शर्मा ने  देखते ही गोली मारने के अदेश दिए है  जवाब नहीं .. मामल इससे कही ज्यादा  गंभीर है , मामला देश टुकड़े करने का , असाम के एक हिस्से को बंगलदेश में मिलाने का ...  और ये सब कर रहे है , इस्लामिक , जिहादी मानसकिता वाले कुच्छ कट्टरपंथी ... ऐसा पहली बार नहीं हुआ है इसके पहले भी ऐसी नाकम कोसिसे की जाती रही है ..........  लेकिन इस बार जो हुआ उसने सीएम श्राम को ऐसा अदेश जारी करने के लिए मजबूर किया , 


धुबरी के कई हिस्सों में 'नबीन बांग्ला' नामक एक संगठन ने  धुबरी को बांग्लादेश में मिलाने के पोस्टर लगये थे.... 1947 के बाद से ही असम और बांग्लादेश के संबंध हमेशा जटिल रहे हैं।1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान भी धुबरी में बड़े पैमाने पर शरणार्थी आए थे। अब यही शरणार्थी  यहाँ के मूल निवासियों का हक मार रहे है , और  असाम को बांग्लादेश में मिलाने की बड़ी साजिश को अंजाम दे रहे है ...... जब से असंम में  NRC और CAA का अदेश हुआ है , उसके बाद से इन  घुसपैठियों में बेचैनी बढ़ गयी है ..... और उसी बेचैनी का नतीजा है  बंगलदेश से सटे इलाको में ये साम्प्रदायिक हिंसा ! 


 

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा धुबरी में “शूट एंड साइट” आदेश कोई आवेश या भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह एक ठोस और राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है  जब किसी सीमावर्ती क्षेत्र में जानबूझकर घुसपैठिए, अलगाववादी और सांप्रदायिक उपद्रवी एकजुट होकर राष्ट्रीय सुरक्षा को सीधी चुनौती देने लगें, तब सरकार के पास सख्त कार्रवाई के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता।  भारतीय दंड संहिता की धारा 46 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 129-132 के तहत, प्रशासन किसी आपात स्थिति में जान और संपत्ति की रक्षा हेतु बल प्रयोग कर सकता है, जिसमें आवश्यक होने पर घातक बल का इस्तेमाल भी शामिल है।


यह आदेश उन  घुसपैठियों, हिंसा फैलाने वालों और राष्ट्रविरोधी तत्वों  के लिए जारी किया गया जो  जो असाम के साथ देश में अशांति फैलाना चाहते है कुछ राजनीतिक दल और कथित मानवाधिकार समूह यह गलत धारणा फैला रहे हैं कि यह आदेश अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। लेकिन सच्चाई ये है कि:यह आदेश किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि उन पर है जो भारत की अखंडता के खिलाफ षड्यंत्र रचते हैं।


जिन लोगों ने “नबीन बांग्ला” जैसे राष्ट्रविरोधी संगठन के पोस्टर लगाए, वे:बांग्लादेश से प्रेरित, प्रशिक्षित और प्रायोजित थे, स्थानीय घुसपैठियों और कट्टरपंथी समूहों के संपर्क में थे,असम को भारत से अलग करने और बांग्लादेश में मिलाने की साजिश रच रहे थे। ऐसे में, क्या सरकार चुप   रहा चाहिए ..धुबरी से लगभग 134 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा बांग्लादेश से जुड़ी हुई है।बीते वर्षों में हजारों घुसपैठियों की पहचान की जा चुकी है, जो फर्जी कागज़ात से भारत में रह रहे हैं। घुसपैठ केवल जनसंख्या का बोझ नहीं बढ़ा रही, बल्कि सांप्रदायिक तनाव, तस्करी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को भी जन्म दे रही है।



"शूट एंड साइट" आदेश राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न है। यह उन तत्वों के लिए स्पष्ट संदेश है जो भारत की सीमाओं, अखंडता और सामाजिक सौहार्द्र को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। असम सरकार की यह नीति दृढ़, सटीक और आवश्यक है — ताकि भारत का उत्तर-पूर्व सुरक्षित रह सके।


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