झांसी में हुआ पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर धीरे धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। ये मर्डर है या इनकाउंटर ये जाँच का विषय है लेकिन जिस तरह पुष्पेंद्र यादव का इनकाउंटर किया गया ओ पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा करता है।
फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में भी यादव महासभा ने पुष्पेंद्र यादव के फर्जी एनकाउंटर मामले में डीएम ज्ञापन दिया। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की झांसी पुलिस ने जिस पुष्पेंद्र यादव की कनपटी को चंद सेकंड में फूटबाल की तरह फोड़ा दिया.
उसने पुलिस की कार्यशैली पर सावलिया निशान खड़ा करता है आखिर पुलिस ने पुष्पेंद्र को गोली मरना ही क्यों समझा उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता था लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया पुलिस पर आरोप है की पुलिस ने पुष्पेंद्र को पकड़ा और उसका इनकाउंटर कर दिया।
झांसी के करगुआं गांव का रहने वाले पुष्पेंद्र के ऊपर तीन मुकदमें दर्ज थे.उसका माइनिंग एक्ट में दोबार चालान हुआ था पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे वो बालू और गिट्टी की ढुलाई काम करता था.
परिवार ने आरोप लगया की पुलिस ने पहले तो पुष्पेंद्र के खिलाफ कई फर्जी केस दर्ज किये और फिर उसे फेक एनकाउंटर में मार दिया. परिजनों के मुताबिक पुष्पेंद्र का जो भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है, पुलिस ने उसके खिलाफ भी हत्या की कोशिश का फर्जी मामला दर्ज कर दिया है. उसे इस बात का पता तब चला, जब वो अपने भाई पुष्पेंद्र की मौत की ख़बर सुनकर झांसी आया
पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर से उत्तर प्रदेश की सियासत में खलबली मच गयी है सपा हो या बसपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पुष्पेंद्र के परिजनों ने कहा कि पुष्पेंद्र के पास पुलिस के घूसकांड का वीडियो सबूत था.यही वजह थी की दारोगा ने उसे मार डाला.
पुलिस का आरोप है कि पुष्पेंद्र ने शनिवार की रात करीब 9 बजे मोठ थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह चौहान पर बमरौली बायपास चौराहा के पास हमला किया था. प्रभारी निरीक्षक के आरोपों के मुताबिक हमलावरों ने गोली चलाकर उनकी कार लूटी और फरार हो गए. इसके बाद घायल इंस्पेक्टर को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इसके बाद सर्च की गई तो पुष्पेंद्र का सामना पुलिस से हुआ और वह एनकाउंटर में मारा गया.
पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर पर बवाल होने के बाद पुलिस भी सफाई दे रही है. उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) पीवी रामशात्री ने बुधवार को ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ही सारे कार्य किए गए. ह्यूमन राइट्स को ध्यान में रखते हुए कार्य किया गया है. इसकी जांच मजिस्ट्रेट लेवल पर एडीएम ईस्ट झांसी को दी गई है. वहां से बरामद किए गए हथियार को फॉरेंसिक लैब भेजा गया है.
फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में भी यादव महासभा ने पुष्पेंद्र यादव के फर्जी एनकाउंटर मामले में डीएम ज्ञापन दिया। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की झांसी पुलिस ने जिस पुष्पेंद्र यादव की कनपटी को चंद सेकंड में फूटबाल की तरह फोड़ा दिया.
उसने पुलिस की कार्यशैली पर सावलिया निशान खड़ा करता है आखिर पुलिस ने पुष्पेंद्र को गोली मरना ही क्यों समझा उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता था लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया पुलिस पर आरोप है की पुलिस ने पुष्पेंद्र को पकड़ा और उसका इनकाउंटर कर दिया।
झांसी के करगुआं गांव का रहने वाले पुष्पेंद्र के ऊपर तीन मुकदमें दर्ज थे.उसका माइनिंग एक्ट में दोबार चालान हुआ था पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे वो बालू और गिट्टी की ढुलाई काम करता था.
परिवार ने आरोप लगया की पुलिस ने पहले तो पुष्पेंद्र के खिलाफ कई फर्जी केस दर्ज किये और फिर उसे फेक एनकाउंटर में मार दिया. परिजनों के मुताबिक पुष्पेंद्र का जो भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है, पुलिस ने उसके खिलाफ भी हत्या की कोशिश का फर्जी मामला दर्ज कर दिया है. उसे इस बात का पता तब चला, जब वो अपने भाई पुष्पेंद्र की मौत की ख़बर सुनकर झांसी आया
पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर से उत्तर प्रदेश की सियासत में खलबली मच गयी है सपा हो या बसपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पुष्पेंद्र के परिजनों ने कहा कि पुष्पेंद्र के पास पुलिस के घूसकांड का वीडियो सबूत था.यही वजह थी की दारोगा ने उसे मार डाला.
पुलिस का आरोप है कि पुष्पेंद्र ने शनिवार की रात करीब 9 बजे मोठ थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह चौहान पर बमरौली बायपास चौराहा के पास हमला किया था. प्रभारी निरीक्षक के आरोपों के मुताबिक हमलावरों ने गोली चलाकर उनकी कार लूटी और फरार हो गए. इसके बाद घायल इंस्पेक्टर को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इसके बाद सर्च की गई तो पुष्पेंद्र का सामना पुलिस से हुआ और वह एनकाउंटर में मारा गया.
पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर पर बवाल होने के बाद पुलिस भी सफाई दे रही है. उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) पीवी रामशात्री ने बुधवार को ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ही सारे कार्य किए गए. ह्यूमन राइट्स को ध्यान में रखते हुए कार्य किया गया है. इसकी जांच मजिस्ट्रेट लेवल पर एडीएम ईस्ट झांसी को दी गई है. वहां से बरामद किए गए हथियार को फॉरेंसिक लैब भेजा गया है.