फतेहपुर: करीब 5 करोड़ के लिए पिछले दो साल से जालसाज़ी के बाद अफसरशाही, दलाली, दगबाज़ी का खेल जारी था। और फिर कहानी का अंत मानो महेश सिंह की मौत के साथ दफन हो गया। और होता भी क्यो न GMR जैसी कंपनी द्वारा धोखा जो दिया गया जिसके पैर देश और विदेशों में पसरे है। और यही वजह रही महेश सिंह अपनी आवाज उठा न सके। हालांकि मीडिया में खबरे भी चली। लेकिन जिम्मेदार अफसरों के हाथों में इतना पैसा रख दिया गया की कानून के हाँथ आपना फर्ज ही भूल गए। लंबे समय से अवसाद में रहने के बाद महेश सिंह की मौत हो गई।
महेश प्रताप, मृतक
दरअसल अनिल कुमार गुप्ता और राजेश कुमार गुप्ता जो कि सगे भाई है दोनों ने मिलकर महेश प्रताप सिंह के साथ पार्टनरशिप डील बनाई थी और जीएमआर कंपनी के लिए काम करने लगे थे। फिर रेलवे ट्रैक के नीचे मिट्टी के पैड बनाने का काम लिया था जिसमे महेश सिंह ने करीब 5 करोड़ रुपये लगाए थे लेकिन फिर GMR कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत से अनिल ओर राजेश में महेश सिंह को धोखा दिया।
इस बीच महेश सिंह GMR कंपनी और अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे। अखबारों की सुर्खियां बनने के बार अनिल ओर राजेश पर मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन कोई करवाई नही हुई। पुलिस और प्रशासन चंद नोटों के लिए बिक गया और महेश सिंह दिवालिया होने से अवसाद में आकर मार गया। परिवार का रोरो कर बुरा हाल है। ये मासूम बच्चे बेसहारा को गए। पत्नी विधवा हो गई। इस परिवार सबकुछ मानो खत्म हो गया। लेकिन सिस्टम अब भी मौन है।
महेश प्रताप, मृतक
दरअसल अनिल कुमार गुप्ता और राजेश कुमार गुप्ता जो कि सगे भाई है दोनों ने मिलकर महेश प्रताप सिंह के साथ पार्टनरशिप डील बनाई थी और जीएमआर कंपनी के लिए काम करने लगे थे। फिर रेलवे ट्रैक के नीचे मिट्टी के पैड बनाने का काम लिया था जिसमे महेश सिंह ने करीब 5 करोड़ रुपये लगाए थे लेकिन फिर GMR कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत से अनिल ओर राजेश में महेश सिंह को धोखा दिया।
इस बीच महेश सिंह GMR कंपनी और अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे। अखबारों की सुर्खियां बनने के बार अनिल ओर राजेश पर मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन कोई करवाई नही हुई। पुलिस और प्रशासन चंद नोटों के लिए बिक गया और महेश सिंह दिवालिया होने से अवसाद में आकर मार गया। परिवार का रोरो कर बुरा हाल है। ये मासूम बच्चे बेसहारा को गए। पत्नी विधवा हो गई। इस परिवार सबकुछ मानो खत्म हो गया। लेकिन सिस्टम अब भी मौन है।