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राम मंदिर-बाबरी मस्जिद 1528 से सुप्रीम कोर्ट में 6 अक्टूबर तक, 400 साल की पूरी कहानी.

Sunday, October 20, 2019 | October 20, 2019 WIB Last Updated 2021-01-22T11:16:31Z

राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद (Ram Mandir-Babri Masjid) की सुनवाई खत्म हो गयी चीफ जस्टिस रंजन गागोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इस ऐतिहासिक फैसला सुरक्षित रख लिया था अब इंतजार है तो उस फासले को जो हिंदस्तान के इतिहास मे एक नया अध्याय लिखेगा । फैसला क्या होगा किसके पछ मे होगा और किसके विपक्ष मे ये फैसले के बाद पता चलेगा लेकिन फैसला जो भी होगा इतिहास रचेगा,  



ये कयास लगाया जा रहा है फैसला 17 नवंबर के पहले पहले आ सकता है क्योकि 17 नव्म्बर को चीफ जस्टिस रंजन गागोई को रिटायर होने वाले हैं। ऐसे उम्मीद है कि उससे पहले अयोध्या विवाद पर फैसला आ जाएगा।
राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद देश में सबसे लंबे चलने वाले केसो में से एक है । लेकिन क्या जानते है कि इस विवाद की आखिर सुरुवात कहा से और कैसे हुई, अयोध्या में विवाद की नींव तकरीबन 400 साल पहले पड़ी,   जब वहां मस्जिद का निर्माण हुआ।  

साल था 1528 : जब मुगल बादशाह बाबर ने (विवादित जगह पर) मस्जिद का निर्माण कराया । साल 1853 और 1949 के आस—पास यहाँ पहली बार दंगे हुए। और उस समय शासन मे रही ब्रीटिस सरकार ने विवादित जगह के आसपास पहली बार बाड़ लगवाई और ये निर्णय हुआ की मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदु ढ़ाचे के बाहर चबूतरे पर पूजा करेगे

लेकिन  असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद के अंदर पाई गयी गईं। और हिंदुओं ने ये कहा कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि वही मुसलमानों ये कहते रहे कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।


साल 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में राम लला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

साल 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।

साल 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।

साल 1986: यू. सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के. एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।

6
दिसंबर 1992: बीजेपी, वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2002: हिंदू कार्यकर्ताओं को ले जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।

8
मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।

1
अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।

2
अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।

6
अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।

16
अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।/india/ayodhya-case-

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