जज साहब बुदबुदते हुए अपना फैसला लिख रहे थे उनके ठीक दायी ओर सोनू पंजाबन एक कटघरे मे खड़ी थी, जेल भेजने का फ़ैसला देते हुए जज प्रीतम सिंह ने कहा, ” महिला की इज़्ज़त उसकी आत्मा जैसी बेशकीमती होती है. तुमने उसे धंधा बना दिया तुमने औरत होने की सारी मर्यादाएं तोड़ दी है .तुम औरत नहीं औरत के नाम पर कलंक हो तुम कड़ी से कड़ी सजा की हकदार हो !
और जज साहब ने सोनू को 24 साल के सश्रम कारावास की सज़ा सुना दी अब सोनू उर्फ सोनू पंजबान 24 सालों तक जेल मे रहेगी उन्हें आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 328, 342, 366ए, 372, 373 120बी समेत अनैतिक व्यापार रोकथाम क़ानून की धारा 4, 5 और 6 के तहत सज़ा दी गई है.
जज ने कहा था की सोनू पंजाबन एक सभ्य समज में रहने लायक नहीं थी . दिल्ली में लड़कियों की ‘दलाली ‘ करने वाली यह महिला हमेशा यही दलील देती रही कि वह सताई गई लड़कियों की उसने मदद की है . उसे इस बात का कोई अफसोस नहीं है की उसने सैकड़ों लड़कियों को जिस्म फ़रोसी के इस धंधे मे धकेल है
सोनू कहती थी की ‘वेश्यावृति जनसेवा है. हम पुरुषों की चाहत को पूरी करते है हम महिलाओं को उनके सपने पूरे करने में भी मदद करते हैं. अगर आपके पास बेचने के लिए शरीर के सिवा कुछ भी नहीं है तो इसे ज़रूर बेचना चाहिए. लोग हर वक़्त कुछ न कुछ तो बेचते ही रहते हैं. उसकी यह पूरी बातचीत लिखित में दर्ज कर चार्जशीट में नत्थी कर दी गई थी.’
पुलिस से बातचीत में अक्सर वह तर्क देती थीं कि वह समाज को एक ज़रूरी सेवा मुहैया करा रही हैं. अगर वह और उसकी जैसी महिलाएं न हों तो न जाने कितने रेप हों.वह कहती थीं कि वासना एक बाज़ार है. अगर यह बाज़ार न हो तो समाज में मार-काट मच जाए. नैतिकता का सवाल वह काफ़ी पहले छोड़ चुकी है
सोनू ने कई बार कहा की अपने जिस्म पर औरतों का अधिकार है. उन्हें इसे बेचने का हक़ है. और उनके इस काम मे ओ सिर्फ मदद करती थी आख़िरकार हम सब भी तो कुछ न कुछ बेच ही रहे हैं- अपना हुनर, शरीर, आत्मा प्यार और न जाने क्या-क्या?
सोनू ने कई बार कहा की अपने जिस्म पर औरतों का अधिकार है. उन्हें इसे बेचने का हक़ है. और उनके इस काम मे ओ सिर्फ मदद करती थी आख़िरकार हम सब भी तो कुछ न कुछ बेच ही रहे हैं- अपना हुनर, शरीर, आत्मा प्यार और न जाने क्या-क्या?
साल 1981 में दिल्ली की गीता कॉलोनी में पैदा हुई सोनू पंजाबन का नाम गीता मग्गू. था उनके दादा पाकिस्तान से एक शरणार्थी थे जो भारत मे आकार बसे थे तौर पर आए थे सोनू के पिता ओम प्रकाश दिल्ली मेऑटो रिक्शा चलाते थे.
सोनू के तीन भाई बहन थे- एक बड़ी बहन और दो भाई. सोनू की बड़ी बहन बाला की शादी सतीश उर्फ़ बॉबी से हुई थी. सतीश और उसके छोटे भाई विजय ने उस शख़्स की हत्या कर दी थी, जिससे उनकी बहन निशा का अफ़ेयर था. दोनों इस मामले में जेल चले गए थे. पैरोल पर रिहा होने के बाद 1996 में गीता ने विजय से शादी कर ली.
सोनू पंजाबन के पिता की 2003 मे मौत के बाद सोनू ने प्रीत विहार में एक ब्यूटीशियन के तौर पर काम शुरू किया था. और यहनी से सोनू ने जिश्म फ़रोसी के धंधे मे कदम रखा उसे ये लगता था के वेषयवर्ति समाज सेवा है हालकी अब वह सलखों के पीछे है