फतेहपुर पर्यावरण संरक्षण के लिए जितना महत्व भारतीय संस्कृति मे दिया गया है शायद ही दुुनिया की किसी सभ्यता मे इतना जोर दिया गया हो.. पर्यावरण के लिए भारतीय संस्कृति मे जलस्रोत.. वायुस्रोत व औषधीय पौधो को देवी व देवताओ का सम्मान दिया गया है


जिससे लोग नदियो.. व्रक्षो को सम्मान देकर उनके संरक्षण का कार्य कर सके.. भारतीय संस्कृति मे हिंसक व जहरीले जन्तुओ का अस्तित्व बरकरार रखने आत्मरक्षा के कारण मानव द्वारा कही ये जीव विलुप्त ना कर दिए जाए इसके लिए नागपंचमी जैसे त्योहार मे दूध पिलाकर इनके संरक्षण का प्रयास किया गया वही सिंह जैसे खूंखार जानवर को मां दुर्गा का वाहन बनाना इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा के तहत था.. प्राचीन काल से शुरू की गयी इस परम्परा को सरकार ने भी बखूबी अनुसरण करने का कार्य किया जिसके तहत वन्य जीव जलीय जीव नदियो जंगलो का अस्तित्व बचाने की दिशा मे अनेको कानून बनाए गए.
पर्यावरण व प्रकति के संरक्षण के साथ खिलवाड़ -
भले ही शासन की मंशा पर्यावरण व प्रकति के संरक्षण को बढ़ावा देने वाली हो लेकिन सरकार के द्वारा बनाए इन नियमो को क्रियान्वित करवाने वाली खाकी की नियति मे खोट. नैतिक मूल्य की अपेक्षा सुविधा शुल्क का पलड़ा भारी होने से पुलिस द्वारा दी जा रही ढील ने जन्तु तस्करो के हैसले मे बेतहासा व्रद्धि की है जिसके परिणामस्वरूप आज जनपद फतेहपुर के कटोघन टोल बूथ पर ट्रक मे लादकर बंगाल ले जा रहे 747 कच्छपो को स्पेशल टास्क फोर्स ने पकड़कर वन विभाग को सुपुर्द किया.. साथ ही दो तस्करो को भी हिरासत मे लिया जिनसे पूछताछ जारी है.
एस. टी. एफ. को मिली यह सफलता बेशक काबिलेतारीफ है जिससे सरकारी तंत्र मे व्याप्त शिथिलता को उजागर किया जिसका फायदा उठाकर तस्करो के हौसले बुलंद होते है....