> आज़म ख़ान : सियासत का फ़ाइनल चैप्टर! -->

Notification

×

Iklan

Iklan

आज़म ख़ान : सियासत का फ़ाइनल चैप्टर!

Tuesday, November 18 | November 18, 2025 WIB Last Updated 2025-11-18T10:33:29Z

यूपी की सियासत में खुद को शहंशाह समझने   वाले आजम खान आज योगी राज में कानून की कैद में सांस ले रहे हैं। खुद को सियासत   का सुल्तान समझने वाले आजम खान आज कानून   के खौफ में जी रहे हैं। 10 बार विधायक, एक   बार सांसद और कई बार मंत्री रहे। लेकिन   सत्ता के अहंकार और कानून की नजरअंदाजी   आजम खान के पतन की सबसे बड़ी वजह बन गई। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या योगी सरकार में आज़म खान का भी वही हाल होगा ..जो अतीक और मुख्तार अंसारी का हुआ था ...   आखिर क्यों 55 दिन पहले जेल से बाहर आये अजांम खान को जेल की सल्खो में बंद कर दिया गया ?



कभी रामपुर में आजम खान का नाम सुनते ही अफसरों के चेहरे उतर जाते थे। पुलिस से लेकर प्रशासन तक हर कोई  यह जानता था कि आजम के इलाके में बिना इजाजत पत्ता भी नहीं हिलता। लेकिन कहते  हैं ना जब हदें पार होती हैं तो कानून  अपना हिसाब बराबर करता है और वही आज आजम खान के साथ हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में दिया एक उनका भड़काऊ भाषण उनकी किस्मत को 360 डिग्री ऐसे पलट कर रख दिया कि उनका दशकों का बनाया साम्राज्य पल भर में ताश  के पत्तों की तरह बिखर गया। उनके खिलाफ हुआ  एक-एक मुकदमा उनके किले की दीवारों को ऐसे गिराता गया जैसे वो ताश के पत्ते हो।   कभी सत्ता के गलियारों में गूंजने वाली  उनकी आवाज अब अदालतों की तारीखों और जेल  की सलाखों में कैद है। सवाल वही उठ रहा है  कि क्या आजम खान का यह पतन सिर्फ कानून का नतीजा है या इसमें सियासत का भी खेल शामिल है? ।


2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने  यूपी की सत्ता संभाली तो उसी दिन से आजम खान का पतन का काउंटडाउन भी शुरू हो  गया। 81 से ज्यादा मामले अकेले योगी राज में उनके ऊपर दर्ज कर दिए गए। सिर्फ 2019  में ही उन पर 70 से ज्यादा मुकदमे ठोक दिए गए। यानी योगी सरकार ने जैसे कसम खा ली थी कि रामपुर का किला ढहा कर ही छोड़ेंगे। और हुआ भी वही  — आजम खान को लगभग लगभग 500 दिन रामपुर जेल:में  और लगभग 780 दिन सीतापुर सीतापुर जेल में रहना पड़ा। हालांकि सितंबर 2025 में उन्हें कुछ मामलों में राहत मिली और वे जेल से बाहर आए, लेकिन कहानी वहीं समाप्त नहीं हुई। आजम खान की रिहाई के सिर्फ 55 दिन बाद ही कहानी ने एक नया मोड़ ले लिया — दो फर्जी पैन कार्ड के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम को 7-7 साल की सजा सुनाई है। दोनों पर 50 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया और कोर्ट का फैसला आते ही उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर रामपुर जेल भेज दिया गया।


जिस आजम खान को कभी सियासत का सुल्तान कहा जाता था। आज वह योगी राज में कैदी बनकर रह गया है। करीब 4 साल 2 महीने जेल की सलाखों में रहने के बाद आजम खान जब रिहा हुए, तो लगा जैसे उनकी कहानी में अब एक नई शुरुआत होगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं ? आजम खान के खिलाफ कुल 104 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें अकेले  93 केस रामपुर में दर्ज है। और बाकी यूपी के अलग हिस्सों में दर्ज है... 12 मामलों में फैसला आ चुका है — कुछ में सजा, कुछ में बरी  हो चुके है । बाकी पर सुनवाई जारी है। यानी सच यह है कि जेल का दरवाजा उनके लिए कभी पूरी तरह से बंद नही हीं हुआ था। और हुआ भी वही — रिहाई के 55वें दिन बाद , उन्हें फिर से जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया।


 

आजम खान को हमेशा डर था कि कहीं उनकी गाड़ी भी उस पटरी पर ना चढ़ा दी जाए जिस पर अतीक और मुख्तार की गाड़ी पहले ही दौड़ चुकी है। अब जब, उम्र के इस पड़ाव पर फिर से जेल की सजा सुनाई गई है, सवाल फिर वही उठ खड़ा हुआ है — क्या आजम खान का भी अंत सियासी बदले और मुकदमों के जाल में उलझकर ही होने वाला है? अब यह देखना होगा कि रामपुर का यह शेर आगे भी दहाड़ेगा, या फिर उसकी आवाज़ हमेशा के लिए खामोश हो जाएगी।

वैसे आप क्या सोचते हैं? क्या योगी सरकार   जानबूझकर आजम खान को निशाना बना रही है या   फिर आजम खान को उनके गुनाहों की सजा मिल   रही है? आप अपनी राय कमेंट बॉक्स में   लिखकर हमें बता सकते हैं।






×
Latest Stories Update