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क्या हिन्दुस्तान … एक बार फिर से दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में घुसकर हमला करेगा?

Monday, November 17 | November 17, 2025 WIB Last Updated 2025-11-17T09:37:15Z


 क्या हिन्दुस्तान …  एक बार फिर से दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में  घुसकर हमला करेगा? क्या फिर से कोई सर्जिकल स्ट्राइक… या बालाकोट जैसा ऑपरेशन हमारे दुश्मनों के दरवाज़े पर दस्तक देगा ?  इस बार कहानी सिर्फ एक धमाके की नहीं है…इस बार कहानी उस जिहादी नेटवर्क की है, जो धीरे धीरे भारत को खोखला कर रहा है...लेकिन सवाल ये है—की  अगर भारत हमला करेगा… तो कब? कहाँ करेगा ? और क्या ये हमला उसी अंदाज़ में होगा …जैसे  कुछ महीनो पहले आपरेशन सिन्दूर में हुआ था .जिसे सोचकर आज भी पकिस्तान कांप  उठता है ..? 


देश अभी दिल्ली ब्लास्ट के ज़ख्मों से उभरा भी नहीं था…कि 72 घंटे भीतर ,जम्मू-कश्मीर में एक और धमाके ने पूरे देश को हिलकर रख दिया..सवाल उठ रहा है—क्या जम्मू-कश्मीर के नौगाम में हुआ धमाका… सिर्फ़ एक Accident था ..या फिर किसी बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा…जिसके धागे तुर्की, पाकिस्तान और मध्य-एशिया की जिहादी फैक्ट्रियों तक जाते हैं?” और यही सवाल एक और बड़े सवाल को जन्म देता है—की क्या भारत एक बार फिर पाकिस्तान के घर में घुसकर’ एक और सर्जिकल स्ट्राइक करेगा?” 


पिछले छह महीनों से भारत पर एक ऐसा खतरा मंडरा रहा था, जिसकी प्लानिंग सरहदों के बाहर हो रही थी—लेकिन टारगेट पर थे  दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पुणे, जयपुर जैसे भारत के बड़े शहर। तुर्की के कट्टरपंथी नेटवर्क,पाकिस्तान के ISI ऑपरेटिव, और कश्मीर में छुपे मॉड्यूल— तीनों एक ही प्लान पर काम कर रहे थे। भारत में बाबरी विध्वंश का बदला ? जिसे उन्होंने नाम दिया था—‘Revenge of Babri’ आतंकी बाबरी विध्वंश का बदला लेना चाहते थे.और इस बदले के लिए आतंकियों ने 32 कारों का इंतजाम भी किया था। इनमें बम और विस्फोटक सामग्री भरकर धमाके किए जाने थे। इसके लिए भारत में एक डॉक्टर मॉड्यूल भी तैयार किया गया था ..जिसे  हिन्दुस्तान के अलग- अलग हिस्सों में हमले करने थे .. इसके लिए इस डॉक्टर मॉड्यूल को  करीब 4 महीने तक 32 कारों में बम फिट करने की प्रैक्टिस करायी गयी । और इन्हें मॉनिटर कर रहे थे — तुर्की और पाकिस्तान में बैठे हैंडलर।  


ये कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था — ये महीनों की प्लानिंग, फंडिंग और ट्रेनिंग का नतीजा था। वो ट्रेनिंग — PoK के आतंकी कैंपों में दी गई, और उसका एक्सीक्यूशन भारत के अलग अलग शहरो में होना था. ख़ुफ़िया एजेंसियों ने इसे नाकम तो किया लेकिन फिर भी दिल्ली ब्लास्ट जैसे घटना रोकी नहीं जा सकी ...हर इंटेलिजेंस ऑपरेशन की एक सीमा होती है—कुछ हमले रोके जाते हैं…और कुछ उस रेड-ज़ोन तक पहुँच जाते हैं  जहाँ “सिर्फ़ सेकंड” तय करते हैं

कि कौन ज़िंदा बचेगा और कौन नहीं। दिल्ली ब्लास्ट ठीक उसी रेड-ज़ोन का वार था।


ये कहानी सिर्फ़ सरहद पार के आतंक की नहीं है... ये कहानी है, उन दुश्मनों की —भी है  जो हमारे ही बीच छिपे हैं। जिनमे  — कोई डॉक्टर है, कोई स्टूडेंट, तो कोई प्रोफेसर है ..जिनके अंदर छुपी है  “जिहादी”, “मुजाहिद”,या फिदायीन” की पहचान । इनका मकसद है  देश के अंदर से ही देश के लोगो पर हमला करना। दिल्ली में हुआ ब्लास्ट उसी प्लानिंग का हिस्सा था ...


यह सच है— की  अगर RAW–IB–NIA पिछले महीनों में इस नेटवर्क को न तोड़तीं, तो भारत शायद एक और 26/11 जैसे बड़े हमले का शिकार होता। देश अभी दिल्ली का दर्द भुला नहीं था…कि नौगाम पुलिस स्टेशन में रखे सैंपलिंग के दौरान बरामद विस्फोटकों ने 9 और लोगों की जान ले ली। नौगाम पुलिस स्टेशन वही जगह थी जहाँ हरियाणा के फरीदाबाद में पकड़े गए व्हाइट-कालर टेरर मॉड्यूल का सामान सीज किया गया था। ये मॉड्यूल दिल्ली लाल किला ब्लास्ट और ‘Revenge of Babri’ नाम की आतंकी साजिश का हिस्सा था. पुलिस स्टेशन में जो 2,900 किलो विस्फोटक रखा गया था, उसमें अकेले 2,000 किलो अमोनियम नाइट्रेट था वही केमिकल जिसे आतंकियों ने 32 कारों में फिट कर बम बनाने के लिए खरीदा था। जो सील लगाते समय फट गया ? ये वही  विस्फोटक था जिसे दिल्ली ब्लास्ट में इस्तेमाल किया गया था .


ये कहानी दो धमाकों की है…एक जो राजधानी के दिल्ली  में हुआ , और दूसरा, वो जो कश्मीर की वादियों में हुआ   , दो जगहें। दो तारीखें। दो हादसे…जिसमे एक दर्जन से ज्याद लोगो की जान चल गयी .एक तरफ भारत ने Revenge of Babri’ जैसे साजिश को जड़ से उखाड़कर फेंक दिया। तो वही दूसरी तरफ नौगाम विस्फोट ने यह भी दिखा दिया—की हम जीत तो रहे हैं…लेकिन लड़ाई अभी बाकी है।”क्योकि PoK के कैंप बंद अभी नहीं हुए। तुर्की का नेटवर्क अभी भीएक्टिव है। ISI अभी भी sleeper cells को गाइड कर रहा है और कश्मीर के अंदर डॉक्टर–प्रोफेसर–स्टूडेंट जैसे स्लीपर मॉड्यूल” अभी भी मौजूद है 


 अभी तक जो लड़ाई हम पकिस्तान से लड़ रहे थे , उसमे एक और किरदार शामिल हो गया है .. तुर्की जिसके तार भी दल्ली बलस्ट से जुड़ रहे है RAW के दस्तावेज़ बताते हैं—तुर्की के कट्टरपंथी नेटवर्क पिछले दो वर्षों से दक्षिण एशिया में एक नए “जिहादी गलियारे” को फंड कर रहे हैं। यूँ समझिए—दिमाग तुर्की का…हथियार पाकिस्तान का…और निशाना भारत था। ये वो मॉडल था जो पहले सिर्फ़ सीरिया–इराक़ में देखा जाता था। अब वही मॉडल

दिल्ली–मुंबई–कश्मीर में ट्राय किया जा रहा था। भारत के लिए ये सिर्फ़ एक खतरा नहीं— ये दो मोर्चों वाला युद्ध है।

 

तो सवाल उठता है—की  क्या अब समय आ गया है कि पाकिस्तान के साथ तुर्की को भी सबक सिखाया जाए? क्योंकि अब खेल सिर्फ़ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है।अब हमले की ब्रेन लैब तुर्की से चलता है ,और ब्लड लैब पाकिस्तान से । जिसे अब भारत को खत्म करना होगा.. और भारत ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है  भारत अब  तुर्की के उन शहरों को चिन्हित करेगा जहाँ से हर महीने जिहादी फंडिंग भारत पहुँचती है?


 पर सवाल है—की अगर पाकिस्तान–तुर्की मिलकर भारत के खिलाफ मल्टी-फ्रंट टेरर डिजाइन तैयार कर रहे हैं… तो क्या भारत सिर्फ़ “डिफेंस” खेलकर

ये लड़ाई जीत सकता है? या फिर समय आ गया है—जब हमला वहीं किया जाए जहाँ ये प्लानिंग शुरू होती है? देश पूछ रहा है… एजेंसियाँ सोच रही हैं…सरकार मौन है…पर माहौल बता रहा है— भारत अब सिर्फ़ जवाब नहीं देगा…भारत हिसाब करेगा।

 

  





 

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